फसल बीमा राशि 2025: मध्य प्रदेश के 44 लाख किसानों को मिलेगी 1450 करोड़ रुपये की राहत
फसल बीमा राशि 2025 मध्यप्रदेश: तीन सीजन से अटके फसल बीमा दावों का भुगतान जल्द होगा शुरू
मध्य प्रदेश के 44 लाख से अधिक किसानों को अगले एक सप्ताह में 1450 करोड़ रुपये का फसल बीमा क्लेम मिलने जा रहा है। यह भुगतान रबी 2023-24, खरीफ 2024 और रबी 2024-25 के लंबित दावों के लिए होगा।
लंबे इंतजार के बाद मिली राहत
मध्य प्रदेश के खेत-खलिहानों में एक बार फिर उम्मीद की हवा बहने वाली है। तीन फसली सीजन से जूझ रहे, अपने फसल बीमा दावों के भुगतान का बेसब्री से इंतजार कर रहे लाखों किसानों के लिए बड़ी राहत की खबर है। राज्य सरकार के ताजा बयान और अधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश के 44 लाख से अधिक किसानों के खातों में अगले एक हफ्ते के भीतर 1450 करोड़ रुपये से ज्यादा की फसल बीमा राशि जमा होने की उम्मीद है।
भुगतान अटकने का मुख्य कारण
इस विशाल राशि के भुगतान में देरी का मुख्य कारण केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत अपने हिस्से का अनुदान समय पर जारी न करना था। PMFBY के नियमों के अनुसार, बीमा प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर वहन करती हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने कई बार केंद्र से अपने हिस्से की राशि जारी करने का अनुरोध किया और किसान संगठनों ने भी इस मुद्दे को उठाया, लेकिन फंडिंग की कमी के कारण भुगतान प्रक्रिया रुकी रही। अब जाकर केंद्र सरकार ने तीनों सीजन के लिए अपनी हिस्सेदारी मंजूर की है, जिससे रास्ता साफ हुआ है।
सीजन-वार बीमा राशि का विवरण
सीजन | क्लेम राशि | लाभार्थी किसान | विवरण |
---|---|---|---|
रबी 2023-24 | 190+ करोड़ रु. | 10 लाख (लगभग) | कुल बीमित राशि का महज 1.10% |
खरीफ 2024 | 1100+ करोड़ रु. | 25 लाख (लगभग) | सबसे बड़ा भुगतान, कुल बीमित राशि का 6.30% |
रबी 2024-25 | 165+ करोड़ रु. | 9 लाख (लगभग) | कुल बीमित राशि का सिर्फ 0.85% |
कुल | 1450+ करोड़ रु. | 44 लाख+ | तीनों सीजन का कुल भुगतान |
कुल मिलाकर:
- कुल क्लेम राशि: 1450 करोड़ रुपये से अधिक
- कुल लाभार्थी किसान: 44 लाख से अधिक
- अनुमानित भुगतान समय: अगले 1 सप्ताह के भीतर (आधिकारिक घोषणा के बाद)
खरीफ 2024: सबसे बड़ी राहत
खरीफ 2024 सीजन के लिए किसानों को सबसे बड़ी राहत मिलने जा रही है। इस सीजन के लिए 25 लाख से अधिक किसानों को 1100 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जाएगा। किसानों ने इस सीजन के लिए कुल 1792.53 करोड़ रुपये का बीमा प्रीमियम जमा किया था, जिसमें से 395.50 करोड़ रुपये किसानों ने स्वयं जमा किए थे।
चिंताजनक आंकड़ा: बीमा राशि का मात्र 2.68% ही मिला दावा
हालांकि 1450 करोड़ रुपये का भुगतान एक बड़ी राहत है, लेकिन एक कड़वा सच यह भी है कि यह राशि किसानों द्वारा तीनों सीजन में करवाई गई कुल बीमित फसल मूल्य (54,000 करोड़ रुपये से अधिक) के मुकाबले बहुत ही कम है। गणना करें तो:
- कुल बीमित फसल मूल्य: 54,000+ करोड़ रुपये
- कुल क्लेम भुगतान: 1,450 करोड़ रुपये
- क्लेम प्रतिशत: मात्र 2.68%
यह न केवल किसानों की आशाओं से कम है, बल्कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के मूल उद्देश्य पर भी सवाल खड़े करता है। योजना का लक्ष्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई कर किसानों को सुरक्षा कवच देना है। लेकिन जब बीमा कंपनियां भारी-भरकम प्रीमियम तो वसूल लेती हैं (जिसमें सरकारी कोष से बड़ा हिस्सा जाता है), लेकिन दावे के समय भुगतान कुल बीमित राशि का औसतन 2-3% ही होता है, तो यह सुरक्षा कवच कितना प्रभावी रह जाता है?
विभिन्न सीजन में क्लेम का प्रतिशत:
- रबी 2023-24: क्लेम = बीमा राशि का 1.10% (190 करोड़ / 17,238 करोड़)
- खरीफ 2024: क्लेम = बीमा राशि का ~6.30% (1100 करोड़ / ~17,460 करोड़ - अनुमानित)
- रबी 2024-25: क्लेम = बीमा राशि का 0.85% (165 करोड़ / ~19,400 करोड़ - अनुमानित)
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि रबी सीजन में तो क्लेम का प्रतिशत नाममात्र का ही रहा है। खरीफ में भी यह 6.30% ही है, जो किसानों की वास्तविक हानि की तुलना में बहुत कम हो सकता है।
किसानों की प्रतिक्रिया
इस भुगतान की घोषणा पर किसानों की प्रतिक्रिया मिली-जुली है। एक तरफ तो लंबे इंतजार के बाद राशि मिलने की खुशी है, वहीं दूसरी तरफ क्लेम राशि के अत्यंत कम प्रतिशत को लेकर गहरी निराशा और आक्रोश भी है।
"ये राहत नहीं, मजाक है!" - भोपाल के नजदीक रहने वाले किसान राजेश पाटीदार कहते हैं, "हमने बीमा तो कराया था। खराब मौसम की वजह से फसल बर्बाद भी हुई। अब जो कुछ मिल रहा है, वो हमारे खर्चे को भी पूरा नहीं कर पाएगा। बीमा कंपनियों ने तो सोने की चिड़िया पाल ली होगी हमारे पैसों से!"
"प्रीमियम तो भरा, लेकिन क्लेम मिला नाममात्र!" - विदिशा की किसान सुमन बाई बताती हैं, "हम छोटे किसान हैं। बीमा का प्रीमियम भरना हमारे लिए बोझ होता है, पर हम भरते हैं ताकि मुसीबत के समय काम आए। लेकिन जब देखो, मिलता है तो कुछ पैसे। इससे तो बीमा कराना ही बेकार लगता है। सरकार को इस योजना पर गंभीरता से सोचना चाहिए।"
"केद्र की लापरवाही ने बढ़ाई मुश्किल!" - एक किसान नेता सतीश चौधरी का कहना है, "इतनी देर से भुगतान का मुख्य कारण केंद्र सरकार की लापरवाही थी। राज्य सरकार ने कई बार पत्र लिखे, हमने आवाज उठाई। किसानों को उनकी मेहनत की कमाई के लिए इतना संघर्ष क्यों करना पड़े? केंद्र को फसल बीमा को गंभीरता से लेना होगा और समय पर फंड जारी करना होगा।
भुगतान स्थिति जानने के तरीके
- बैंक खाता जांचें: सुनिश्चित करें कि आपका बैंक खाता सक्रिय है और वही खाता नंबर बीमा रिकॉर्ड में दर्ज है जो आपके आधार से लिंक है।
- आधिकारिक पोर्टल पर नजर रखें: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के आधिकारिक पोर्टल (pmfby.gov.in) पर जाएं।
- किसान कॉल सेंटर: किसी भी जानकारी या शिकायत के लिए किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) पर संपर्क करें।
- ग्राम स्तर पर जानकारी: ग्राम पंचायत स्तर पर भुगतान की जानकारी प्राप्त करें।
- बीमा कंपनी से संपर्क: यदि आप जानते हैं कि आपका बीमा किस कंपनी के माध्यम से हुआ था, तो उनकी स्थानीय शाखा से संपर्क करें।
अंतिम शब्द :
भुगतान में देरी: केंद्र सरकार द्वारा अपने हिस्से की राशि समय पर जारी न करना भुगतान में देरी का प्रमुख कारण था। ऐसी देरी किसानों की हताशा बढ़ाती है और योजना के प्रति विश्वास को कमजोर करती है। सिस्टम में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करने की सख्त जरूरत है।
न्यूनतम क्लेम प्रतिशत: 54,000 करोड़ रुपये की बीमित फसल के मुकाबले मात्र 2.68% (1450 करोड़) क्लेम का भुगतान एक बहुत बड़ा सवाल है। यह दर्शाता है कि दावा निर्धारण प्रक्रिया में सुधार की तत्काल आवश्यकता है ताकि किसानों को उनके वास्तविक नुकसान के अनुपात में उचित मुआवजा मिल सके। क्लेम राशि का इतना कम प्रतिशत बीमा कंपनियों के मुनाफे और किसानों के नुकसान के बीच बड़े अंतर को भी दिखाता है।
योजना की प्रभावशीलता पर सवाल: क्लेम राशि का इतना कम होना योजना के मूल उद्देश्य - प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने - की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। योजना की समीक्षा और उसे अधिक किसान-हितैषी बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
फसल बीमा किसानों की आय का आधार नहीं, बल्कि संकट के समय का सहारा होना चाहिए। इस सहारे को मजबूत, त्वरित और न्यायसंगत बनाने के लिए केंद्र, राज्य सरकारों और बीमा कंपनियों को मिलकर काम करना होगा। मध्य प्रदेश के किसानों को मिलने वाली यह राशि एक अंत की शुरुआत है, लेकिन इस योजना को सच्चे अर्थों में किसानों का 'बीमा' बनाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
निष्कर्ष:
मध्य प्रदेश के 44 लाख से अधिक किसानों के लिए 1450 करोड़ रुपये का फसल बीमा भुगतान निश्चित रूप से एक बड़ी राहत की खबर है। हालांकि, इस पूरे प्रकरण ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मौजूद कुछ गंभीर खामियों को भी उजागर किया है। भुगतान में देरी और न्यूनतम क्लेम प्रतिशत जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। फसल बीमा किसानों की आय का आधार नहीं, बल्कि संकट के समय का सहारा होना चाहिए। इस सहारे को मजबूत, त्वरित और न्यायसंगत बनाने के लिए केंद्र, राज्य सरकारों और बीमा कंपनियों को मिलकर काम करना होगा।
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